Sahara India Today News : सुब्रत रॉय को सुप्रीम कोर्ट ने दिया बड़ा फैसला
Sahara India Today News : सहारा इंडिया के मिनिस्टर सुब्रत राय को सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि सहारा इंडिया के प्रमुख सुब्रत राय को व्यक्तिगत तौर पर पेश होने का निर्देश देकर पटना हाईकोर्ट ने अपने अधिकारी क्षेत्र का उल्लंघन किया है सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आप लोगों की अग्रिम जमानत याचिका की सुनवाई के दौरान इस तरह का आदेश जारी कर के उच्च न्यायालय के अपने अधिकार क्षेत्र की सीमा लांघी है सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सुब्रत राय उस मामले में आरोपी नहीं थी जो पटना के उच्च न्यायालय के समक्ष में था तो आइए जानते हैं और बातें।
Sahara India chief Subrata Roy
न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति जे बी पर्दे वाला पीठ ने कहा कि यह गलत चलन है जो बढ़ रहा है जमानत के लिए डायरिया जी का मैं आप उन मामलों की जांच करते हैं जो जमानत पर विचार के लिए अप्रासंगिक के हैं और जमानत के लिए यह कैसे प्रासंगिक हो सकता है यह तो आप जमानत हाजिर करें या मंजूर करें और सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले उच्च न्यायालय के उस आदेश पर रोक लगा दी थी जिसमें निवेशकों का पैसा वापस नहीं करने को लेकर बिहार के पुलिस महानिदेशक को निर्देश दिया था कि वह सहारा इंडिया के प्रमुख को अदालत के समक्ष निजी तौर पर पेश करें पीठ में आज की सुनवाई के दौरान कहा कि उच्च न्यायालय को अन्य मुकदमे में इस तरह के आदेश पारित करने चाहिए थे ना की दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 438 के तहत अधिकार के क्षेत्र का इस्तेमाल करते वक्त सीआरपीसी की धारा 438 की गिरफ्तारी की आशंका से बचने के लिए जमानत के निर्देश से संबंधित है न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर नहीं कहां अपने 22 साल के अनुभव में मैंने एक चीज सीखी की या अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर है और पीठ ने कहा हम यह नहीं कह रहे हैं कि उच्च न्यायालय ऐसा नहीं कर सकता है यह अदालत कर सकता है लेकिन उचित प्रारूप और अधिकार क्षेत्र के तहत।
सुब्रत राय निवेशकों का पैसा कैसे लौटएंगे ?
आपको बता दें कि बिहार सरकार की ओर से पेस वकीलों ने कहा कि उच्च न्यायालय ने सुब्रत राय को अभियुक्त नहीं बनाया है उन्हें योजना पेश करने को कहा है कि आखिरकार ओवर निवेशकों का पैसा कैसे लौट आएंगे और पीठ ने कहा कि हम केवल यह कह रहे हैं कि ऐसा 438 धारा के तहत नहीं किया जाना चाहिए था न्यायालय ने कहा कि याची कर्ताओं ने उच्च न्यायालय के अग्रिम जमानत का विरोध किया था और अदालत को केवल इन मामलों पर विचार करना चाहिए था कि किया जमानत मंजूर करने के लिए कोई प्रथम दृष्टया मामला बनता है या नहीं बनता है सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि इस तरह का आदेश सत्र अदालत की ओर से दिया जाता है तो उच्च न्यायालय उस सत्र न्यायाधीश को आड़े हाथों लेता और यहां तक कि उसे न्यायिक अकादमी में जाने की सलाह देता और एक बार आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने यह बात की बृहस्पतिवार को स्थगित कर दी गई थी।
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