अधिनायक ||अधिनायक रघुवीर सहाय  वस्तुनिष्ठ प्रशन और सारांश

अधिनायक रघुवीर सहाय  वस्तुनिष्ठ प्रशन और सारांश


अधिनायक रघुवीर सहाय  वस्तुनिष्ठ प्रशन  

 

प्रशन : अधिनायक पाठ के लेखक कौन है ? 

 उत्तर: अधिनायक पाठ के लेखक रघुवीर सहाय है | 

प्रशन : रघुवीर सहाय का जन्म कब  हुआ था ?

 उत्तर: रघुवीर सहाय का जन्म 9 दिसंबर 1929 को हुआ था | 

प्रशन: रघुवीर सहाय का जन्म स्थान कहां है ?

उत्तर : रघुवीर सहाय का जन्म स्थान लखनऊ ,उत्तर प्रदेश है | 

 प्रशन : रघुवीर सहाय का निधन ( मृत्यु ) कब हुआ था ? 

उत्तर: रघुवीर सहाय का निधन 30 दिसंबर 1990 को हुआ  | 

प्रशन: रघुवीर सहाय के पिता का क्या नाम था ? 

उत्तर:  सहाय पिता का की पिता का नाम  हरदेव सहाय  था | 

रघुवीर सहाय के पिता एक शिक्षक थे | 

 रघुवीर सहाय शिक्षा :  एम0 ए0  (अंग्रेजी ) लखनऊ विश्वविद्यालय ,लखनऊ | 

रघुवीर सहाय सम्मान : ‘ लोग भूल गए हैं ‘  के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला | 

रघुवीर सहाय  अपनी और समकालीन कविता  के वाचन के लिए ‘ कौमुदी ‘  नामक कविता केंद्र की स्थापना और संचालन किए | 

 रघुवीर सहाय की कृतियां :  कविता:  दूसरा सप्तक  में एक कवि के रूप में शामिल ,सीढ़ियों पर धूप में आत्महत्या के विरुद्ध हंसो हंसो जल्दी हंसो लोग भूल गए हैं कुछ पत्ते कुछ  चिट्टियां | 

कहानियां ;  सीढ़ियों पर धूप में रास्ता इधर से है जो आदमी हम बना रहे हैं | 

निबंध ;  सीढ़ियों पर धूप में दिल्ली मेरा प्रदेश लिखने का कारण   ऊवे हुए दुखी हुए और नहीं होंगे जो मारे जाएंगे अर्थात यथास्थिति नहीं | इसके अतिरिक्त अनुवाद कार्य संपूर्ण रचना वाली छह खंडों में राजकमल प्रकाशन नई दिल्ली से प्रकाशित |


अधिनायक रघुवीर सहाय सारांश  

रघुवीर सहाय स्वतंत्रता के बाद भारत की संसदीय राजनीति और एक पिछड़े  सामंती सामाजिक ढांचे में लोकतांत्रिक व्यवस्था की प्रतिष्ठा और विकास के सामाजिक राजनीतिक परिवेश में रघुवीर सहाय का घटनाक्रम एवं पत्रकारिता अपना रूप आकार ग्रहण करते हैं  रघुवीर सहाय व्हिच वी सदी के उत्तरार्द्ध के एक प्रमुख और महत्वपूर्ण पत्रकार हैं  जिन्होंने रचनात्मक और पत्रकारिता के आगे की पीढ़ियों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा रघुवीर सहाय ने कहानियां भी लिखी और वह अनेक कारणों से बहुमूल्य मानी जाती है|  इसके अलावा अतिरिक्त रघुवीर सहाय ने विश्व साहित्य से अनेक कृतियों का विशेष  रूप से नाटे कथा आदि विधाओं की कृतियों का हिंदी में अनुवाद भी किया है जो रचना कर्म काही एक अनिवार्य अंग माना जाता है| छठी दशक के रघुवीर सहाय प्रारंभ में अज्ञेय द्वारा संपादित प्रयोगवादी संकलन सप्तक में एक ही कविता के रूप में सामने आए थे आगे किस तत्व और प्रयोगवाद की सबसे बड़ी भूमिका यह कि छायावादी पिछले काव्य आंदोलन के बच्चे हुए प्रभाव और संस्कारों से नए प्रयोग द्वारा पूरी तरह मुक्त होकर कविता की आकृति और विकास के लिए नई रचना भूमि और नई भाषा मुहावरा रचना तांत्रिक भावना की शुरुआत हुई थी वास्तविक अर्थों में समवेत रूप से नई कविता की वाटिका रची जा सकी तथा नए साहित्य चिंतन और रचना कर्म की प्रस्तावना की जा सके रघुवीर सहाय दूसरा सप्तक के  सात   कवियों में शामिल थे |  उनकी विशिष्ट मानव रचना और व्यक्तित्व की अंकित कहानियों और उनकी पत्रकारिता मैं हुई एक नया शिक्षित फूल पड़ा नीचे इस बड़ी युवा कार्य घटना में रचनाकारों की भूमिका थी यह एक सामूहिक प्रयत्न था पर इस सामूहिक प्रयत्न में रघुवीर सहाय बिना अगल-बगल झांके अपनी सभी क्षमता और इमानदार संता के साथ जुटे रहे यह सिलसिला आगे तक चलता रहा और लगभग उनकी रचना दर्शन का अंग बन गया था रघुवीर सहाय की कविता पर कथित अपने परिवेश से उलझ कर और उसके प्रति अनुभूत सच्चाई की सहज पूर्ण प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए ही अपना चियत  और  सार्थकता यह एक सामूहिक प्रयत्न था पर इस सामूहिक प्रयत्न में रघुवीर सहाय बिना अगल-बगल जाके अपनी समूची क्षमता और इमानदार संता के साथ जूते रहे उनकी विशिष्ट बनो रचना और व्यक्तित्व की कहानियों और उनकी पत्रकारिता में भी हुई एक नया क्षितिज खुल पड़ा | रघुवीर सहाय कविता ऊपर कथित अपने परिवेश से लेकर और उसके प्रति अनुभव चाय की पूर्ण प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए औचारिकता  यथार्थता हासिल करती है| प्रस्तुत कविता अधिनायक उनके संग्रह आत्महत्या के विरुद्ध से ली गई है और एक व्यंग कविता है इसी बयान कविता जिसमें हाथ के नहीं आजादी के बाद की सत्ताधारी वर्ग के प्रति वर्ष पूर्ण ठीक-ठाक है राष्ट्रीय गान में अधिनायक शब्द को लेकर यह व्यंगात्मक कटाक्ष है|  आजादी हासिल होने की इतने वर्षों के बाद भी आम आदमी की हालत में कोई बदलाव नहीं आया है कविता में हर चरणा इसी आम आदमी का प्रतिनिधि है वह एक स्कूल बनाने वाला बदहाल गरीब लड़का है जो अपनी आर्थिक सामाजिक हालात के विपरीत और औपचारिक  सरकारी स्कूल में पढ़ता है |  त्योहारों के दिन झंडा फहराए जाने की जलसे में फटा सूचना पहले वही राष्ट्रगान दोहराता है जिससे इस लोकतांत्रिक व्यवस्था में भी ना जाने किस अधिनायक गुणगान किया गया है सत्ताधारी वर्ग बदल गए जनतांत्रिक संविधान से चलती  इस व्यवस्था में भी राजनीतिक दल से निर्णायक के रूप में करवाए जा रहे हैं की   हुईऊंच-नीच अमीर गरीब आदिवासी और पाखंड पर टिकी हुई समाज में रहते हुए मैं दाढ़ी बढ़ाकर नहीं सकता कपड़े इस तरह के नहीं पहनता के लोग कहे थे वह देखो कभी आया और बात इस तरह से नहीं करता कि लोग पर हटकर अदर से बैठी पर बात इस तरह जरूर करता हूं कि सिर्फ वही लोग दोबारा मिलना चाहे जो निर्भय है और बिना कारण आदर दिखाएं आदर मांगे दोबारा मिल सके राष्ट्रगीत में भला कौन होगा भारत भाग्य विधाता है सुथना पहने जिसका हरचरण आता है |  कविता में हरचरना आम आदमी का प्रतिनिधि है | वह एक स्कूल जाने वाला बदहाल गरीब लड़का है जो अपने आर्थिक सामाजिक हालत की विपरीत औपचारिकतावश  सरकारी स्कूल में पढ़ता है | राष्ट्रीय त्योहार के दिन झंडा फहराए जाने की जलसे में फटा सुथना  पहने वही राष्ट्रगान दोहराता है जिससे इस लोकतांत्रिक व्यवस्था में भी न जाने की अधिनायक का गुणगान किया गया है | कविता में निहितार्थ धनी यह है मानो कि सत्ताधारी वर्ग की प्रश्न लालसाह  सचमुच अधिनायक अर्थात तानाशाह बनने की वीर सहाय के प्रति अनुभूत सच्चाई की साहस पूर्ण प्रतिक्रिया  और अपना उचित और सार्थकता हासिल करती है | रघुवीर सहाय के पिता का क्या नाम था


प्रशन :   हरचरना  कौन है ? उसकी क्या पहचान है ? 

उत्तर : कविता में हरचरना आम आदमी का प्रतिनिधि है | वह एक स्कूल जाने वाला बदहाल गरीब लड़का है जो अपने आर्थिक सामाजिक हालत की विपरीत औपचारिकतावश  सरकारी स्कूल में पढ़ता है | राष्ट्रीय त्योहार के दिन झंडा फहराए जाने की जलसे में फटा सुथना  पहने वही राष्ट्रगान दोहराता है जिससे इस लोकतांत्रिक व्यवस्था में भी न जाने की अधिनायक का गुणगान किया गया है |


 अधिनायक पाठ के लेखक कौन है 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *