Last updated on April 8th, 2021 at 06:48 am
नाखून क्यों बढ़ते है || हजारी प्रसाद द्विवेदी || Nakhun Kyon badhate Hain Objective
नाखून क्यों बढ़ते है हजारी प्रसाद द्विवेदी महत्वपूर्ण वस्तुनिष्ठ प्रशन
प्रशन : आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी का जन्म कब हुआ था ?
उत्तर : आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी का जन्म 1907 ई० में हुआ था |
प्रशन : हजारी प्रसाद द्विवेदी का जन्म कहां हुआ था ?
उत्तर : आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी का जन्म आरत दुबे का छपरा ,बलिया (उत्तर प्रदेश ) में हुआ |
प्रशन : नाख़ून क्यों बढ़ते हैं के लेखक कौन है ?
उत्तर : नाखून क्यों बढ़ते हैं के लेखक हजारी प्रसाद द्विवेदी हैं |
प्रशन : नाखून क्यों बढ़ते हैं क्या है ?
उत्तर : नाखून क्यों बढ़ते हैं एक निबंध है |
प्रशन : हजारी प्रसाद द्विवेदी का निधन कब हुआ था ?
उत्तर : हजारी प्रसाद द्विवेदी का निधन सन 1979 में दिल्ली में हुआ |
हजारी प्रसाद द्विवेदी की रचनाएँ कौन कौन है
हजारी प्रसाद द्विवेदी की की रचनाएँ : विचार और वितर्क , ‘अशोक के फूल ‘ , कुटज विचार -प्रवाह , बाणभट्ट की आत्मकथा ,हिंदी काल आलोक पर्व ,प्राचीन भारत के क्लात्मक विनोद ‘ ( निबंध संग्रह ) अकादमी पुरस्कार, हजारी प्रसाद द्विवेदी ( BHU ) काशी हिंदू विश्वविद्यालय ,शांतिनिकेतन विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ विश्वविद्यालय में प्रोफेसर एवं प्रशासनिक पदों पर रहे |
नाखून क्यों बढ़ते हैं
Nakhun Kyon badhate Hain
कभी-कभी बच्चे चक्कर में डाल देने वाला प्रशन कर देते हैं | पिता बड़ा दयनीय जीव होता है मेरी छोटी लड़की ने जब उस दिन पूछ दिया की आदमी के नाख़ून क्यो बढ़ते है | आचार्य हजारी प्रसाद का प्रस्तुत निबंध ग्रंथावली लेखक और निबंकर का मानववादी दृष्टिकोण था | और इस ललित निबंध में लेखक ने बार-बार काटे जाने वाला नाखून के बहाने एक अत्यंत शैली में सभ्यता और संस्कृति की विश्वास गाथा उद्घाटित कर दिखाई है | और नाखून का मनुष्य बढ़ता की आत्मिक पास्ता और संरचना का प्रमाण है उनकी और बार-बार काटते रहना और अलंकृत करते रहना मनुष्य को भी निरूपित करता है |
सारांश
Nakhun Kyon badhate Hain
Nakhun Kyon badhate Hain कभी-कभी बच्चे भी चक्कर में डाल देने वाला प्रश्न पूछ पड़ता है पिता बड़े दयनीय जीवन होता है | लेखक की छोटी बेटी ने इस प्रश्न को पूछा कि नाखून क्यों बढ़ते हैं तो लेखक ने सोच में पड़ गया | और लेखक के मन में बातें आई की मनुष्य को अरे 3 दिन बाद उसके नाखून बढ़ जाते हैं | और अगर जो बच्चा उस दिन अपने नाखून को छोड़ देते हैं तो उसे मां-बाप काटने के लिए दांत पड़ते है | और यह कोई नहीं जानता कि यह अब आगे नाखून क्यों बार-बार बढ़ जाते हैं | और नाखून को काट दीजिए तो वह चुपचाप दंड को स्वीकार कर लेता है | लेकिन निर्दलीय अपराधी की भांति की छूट दे गीत सिंह पर हाजिर हो जाता है आखिर इतना वाहया क्यों है ? जब हम कुछ लाखो वर्ष पहले की बात करते हैं तो मनुष्य जंगली अथवा वनवासियों जैसा तो उसे नाखून की जरूरत थी उसकी जीवन रक्षा के लिए नाखून बहुत जरूरी थी और असल में वही उसके अस्त्र-शस्त्र थे | और जंगली मानव के लिए नाखून बहुत जरूरी था | अथर्व खेले और पेड़ की डाली पर हथियार बनाती इन हड्डियों के हथियार सबसे मजबूत होता था देवताओं इतिहास राजा का दधीचि मुनि के हड्डियों से बना था या हथियार | और आगे मनुष्य बड़ा उसने धातु के हथियार बनाया और जिसके पास लोहे का आस्था वह भी जैगुआर और देवताओं तक मनुष्य का राजा इसलिए शायद लेना पड़ती थी कि मनुष्य के पास लोहे के अस्त्र थी लेकिन असुरों के पास अनेक विद्यार्थी और लोहे के आंसर भी नहीं थी पर भूले भी नहीं थे | आजकल नेट धर्म न्यूज़ एटम बम और बम भरोसा पर आगे चल रहा है लेकिन उसके नाखून आदि भी बढ़ रहे हैं इसके बारे में लेखक क्या सोच रहा था | मनुष्य की तरह रही हैं याद दिलाती है कि तुम्हारे नाखून को भुलाया नहीं जा सकता है लाखों बस पहले किए थे दंतवलंबी लंबी है मनुष्य को कुछ हजार साल पहले की नाखून कुमार विनोद के लिए उपयोग में लेना शुरू किया था| | आज से 2000 वर्ष पहले का भारत वासियों नाखून को जन्म के सब आता था लेकिन उनके काटने की कारण काफी मनोरंजन बताई गई है इसको ना वर्तुल आकार चंद्राकार और दतुलकर और चिकना बनाया जाता है और मेरा मन में उठता है कि और मनुष्य बढ़ रहा है ? और पशुता की ओर है या मनुष्य की ओर बढ़ रहा है बढ़ाने या घटाने की ओर कोई जाति किया है तो — जानते हो क्या करते हैं यह हमारी जानते हो क्यों बढ़ रहे हैं ? अंग्रेजी में कहा तो सिर्फ हमारी परंपरा बनिया में उत्तर की कार और संस्कार उज्जवल है ? जिससे कि हम लोगों ने अनजाने में यह बदल गई है, | जातियाँ इस देश में अनेक आई सफलता और चित्रता में अंतर है | सभ्यता की नाना वीडियो पर खड़ी और मामा की ओर मुख करके चलने वाली इन जातियों के लिए सामान्य धर्म खोज निकालना कोई बात नहीं की भारतवर्ष की जीवनी अनेक प्रकार से इस समस्या को सुलझाने की कोशिश की थी पर एक बात की थी मस्त जातियों का एक ही है वह अपने ही अपने ही बंधनो से अपने को बांधने समस्या को सुलझाने की कोसिस की थी |