विनोद कुमार शुक्ल ( प्यारे नन्हें बेटे को ) सारांश और जीवन परिचय

Last updated on April 8th, 2021 at 08:01 am

      विनोद कुमार शुक्ल ( प्यारे नन्हें बेटे को ) सारांश और जीवन परिचय 


    

Vinod Kumar Shukla objective pdf

                                                       विनोद कुमार शुक्ल 


                                           विनोद कुमार शुक्ल Objective Question 

Vinod Kumar Shukla objective 

विनोद कुमार शुक्ल का जन्म कब हुआ था ? 

विनोद कुमार शुक्ल का जन्म 1 जनबरी 1937 को हुआ था | 

विनोद कुमार शुक्ल का जनम स्थान कहा है ? 

विनोद कुमार शुक्ल का जनम स्थान राजनादगांव  , छत्तीसगढ़ है | 

विनोद  कुमार शुक्ल का निवास स्थान कहा है ? 

विनोद  कुमार शुक्ल का निवास स्थान रायपुर छत्तीसगढ़ है | 

 


 

                                      विनोद कुमार शुक्ल सारांश 

 

बीसवीं शताब्दी के सातवें आठवें दशक में एक कवि विनोद कुमार सूरज के रूप में सामने आए थे  जो कुछ ही समय के बाद उसकी दौर में एक दुख कहानियां उनकी भी मानने आई थी  भारत से बिल्कुल अलग देखने में सरल किंतु बनावट जटिल और रोपण के कारण सुधि जनों का आकृष्ट ध्यान किया था  और उनकी रचनाएं मौलिक ने आर्य थे परंतु यह विशेषता निराश और कहीं से भी नहीं थी  और दुखी होकर उनकी कविता और कहानियां  मैं उपन्यास आई है  और कविता दोनों विधाओं में एक ऐसा करना चाहते थे कि वे बल वालों पर गिरे  , शुक्ल का भी और कथाएं हैं /  और उनका अवदान विधाओं से समर्पित है  /  और पिछले दशक में उन्होंने तीन प्रकाशित उपन्यास किए थे जिनमें से उनका उपन्यास दिशादशा का निर्णायक प्रभाव डाला था / Vinod Kumar Shukla objective सारांश और जीवन परिचय  और उसके कथा साहित्य के किसी तरह से वीर मुद्दा के समान निम्न मध्यवर्गीय को ऐसा पात्र जिसमें से अद्भुत जीवन प्रकट हुआ /  किंतु यह सदा स्वभाविक और हीरोइन के इतने स्वभाव इतने आरा और समान रूप से वह परिवेश का वातावरण का अभिन्न अंग हो गया /  और विनोद कुमार शुक्ल ने यह बयान कविता और कथा के दो मामूली बातचीत खा लो और ले फिर से शुरू नहीं खत्म ही नहीं होता है /  और उनकी अपूर्व शब्द चमक और ताज़गी चली आ रही थी और वे अपनी संपूर्ण प्रतिष्ठा गरिमा दिखाई पड़ते थे/  और विनोद कुमार शुल्क खूब पढ़े जाते हुए किंतु वह सबसे कम विचलित लेखक थे /  और उनका निश्चित ही यह है कि उनकी आदित्य था और मौलिकता और सबूत एक है | और पर्यावरण प्रकृति समाज और समय में उनकी संपत्ति किसी विचारधारा प्रतिज्ञा दर्शन की मोहताज नहीं थी/ /  और पुराने कभी उसको  सरीखी /  आज भी वह भारतीय समय में बन  चुके हैं /  कविता उनके आदमी कोर्ट गरम पहन कर गया चला विचार की तरह एक कविता प्यारे नन्हे बेटे को नाम से प्रस्तुत किया था /  और कही गई बातों में कविता का पेश करती है नायक जी हिलाई का कविता छत्तीसगढ़ के रहने वाला से अपने प्यारे नन्हे को कंधे पर उठाया और अपनी नन्हीं बिटिया के घर के भीतर जैसे कम मुक्ती पूर्ण बातचीत से पूछता हुआ कहते हैं कि /  कहां लोहा बदलाव आसपास लोहा कदम पर और एक पृथ्वी ग्रह में है /  लोहा यह में अंत में कविता एक दुरुपयोग प्रति कथा ग्रहण कर लेता है /  और पोकर होकर भी हमारे जिंदगी में वह और संबंध में मिला होता हुआ और प्रवाहित है और हमारा अधिकार है कि / 

Vinod Kumar Shukla objective 

अपने प्यारे नन्हे बेटे को अपने कंधे पर बैठा /


 अब मैं दादा से बड़ा हो गया हूं सुनना यह है / 

 और अपनी प्यारी बेटियों से पूछूंगा बदलाव की आस पास लोहा कहां कहां है /

 

 चिंता सीगुड़ी स्कूल दरवाजे की सांकल कब्जे की दरवाजे में धंसा हुआ वह बोलेगी झटपट से 

और वह फिर याद करेगी रुक जा लोहे के तार लंबा दुख की लकड़ी पर बांध से बना हुआ है और सुख रहे हैं जिस पर गिरी भैया  चढ़ी है /


 और फिर एक शेट्टी साइकिल पील पूरी है

 वह ध्यान रखेगी कि आसपास सोचने वाला क्या किया है / 

 वह पतली दुबली पर हरकत में कितनी जल्दी है

 वह जाए जान आसपास लोहा कहां कहां है /  

Vinod Kumar Shukla objective

 

आज मैं याद दिखलाऊंगा दिखलाऊंगा जैसे कि बिटिया को कुदाली बसूला तकिया पुर की खड़ी बैलगाड़ी चक्के का पट्टा गले में बैलों कैसे की घंटे के अंदर लोहे की गोली को आज हम बतलाएं गे /और याद दिलाएंगे की पत्नी जैसी समझाई बेटी को सामने वाले कुएं में पार्टी से लगी लोहे की गिरी से कड़ी कड़ी और क्षेत्र और मेला चाकू और हत्या भिलाई बलाडिया जगह-जगह पर लोहे के तिल है/ घर भर मिलकर इसी तरह से सोच सोच कर धीरे-धीरे एक साथ ऐसा ढूंढ लेंगे कि लोहा कहां कहां है /  और उस घटना से अब तक घटना की वह आदमी मेहनत कश लोहा है /

 औरत है वह  दबी सताए

 और उठाने वह वाली लोहा/ 

 चूल्हा प्यारा वह लगा लकड़ी उसे घटना तक कि वह हर आदमी जो मेहनतकश से लोहा है / और वह औरत जो दबी सताई से वह उठाने वाली लोहा है / 


Vinod Kumar Shukla objective 

विनोद कुमार शुक्ल ( प्यारे नन्हें बेटे को ) vinod kumar shukla

 

My name is Uttam Kumar, I come from Bihar (India), I have graduated from Magadh University, Bodh Gaya. Further studies are ongoing. I am the owner of Bsestudy.com Content creator with 5 years of experience in digital media. We started our career with digital media and on the basis of hard work, we have created a special identity for ourselves in this industry. (I have been active for 5 years, experience from electronic to digital media, keen eye on political news with eagerness to learn) BSE Study keeps you at the forefront, I try to provide good content and latest updates to my readers.You can contact me directly at ramkumar6204164@gmail.com

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