ज्ञानेंद्रपति- गांव का घर वस्तुनिष्ठ प्रशन और सारांश || Gyanendra pati gaon ka ghar vastunishth prashan,Bse Study

Last updated on May 23rd, 2021 at 01:15 pm

ज्ञानेंद्रपति  गांव का घर वस्तुनिष्ठ प्रशन और सारांश


ज्ञानेंद्रपति  गांव का घर  वस्तुनिष्ठ प्रशन 

 

प्रशन : ज्ञानेंद्रपति का जन्म कब हुआ था ? 

उत्तर  : ज्ञानेंद्रपति का जन्म 1 जनवरी 1950 को हुआ था | 

प्रशन :  ज्ञानेंद्रपति का निवास स्थान कहां है  ? 

उत्तर : ज्ञानेंद्रपति का निवास स्थान वाराणसी , उत्तर प्रदेश है | 

प्रशन : ज्ञानेंद्रपति का जन्म स्थान कहां है ? 

उत्तर : ज्ञानेंद्रपति का जन्म स्थान पथरगामा ,गोड्डा ,झारखण्ड है | 

प्रशन : ज्ञानेंद्रपति का माता का  क्या नाम था ? 


   ज्ञानेंद्रपति गांव का घर सारांश 

Gyanendra pati gaon ka ghar vastunishth prashan 

एक समझावन साली युवा कवि के रूप में ज्ञानेंद्रपति बीसवीं सदी के आठवें दशक में उचित हुए थे |  अपने शब्द चयन भाषा संवेदना की ताजगी और रचना विन्यास में आत्म जल संसाधन जैसी विशेषताओं के कारण उन्होंने हिंदी कविता में सुधि पाठक का अध्ययन आकृष्ट किया |  1980 ईस्वी में आए अपने दूसरे कविता का संग्रह से उन्होंने विचारशील पाठ को और स्वतंत्र विवेक वचन आलोचक को अपनी प्रतिभा का उर्जा और स्वाधीन सम्राट के आश्वस्त किया  अपने जीवन और रचना की उनकी एक जैसी स्वर्ण निर्भर और आत्मविश्वास पूर्व गति मति और अंदाज अक्सर चालू हल्के में उन्हें संडे का पात्र बनाते रहे हैं  प्रचलित फैशन और नीतियों के विवाह होने के कारण प्राय स्वार्थों पर टिकी गुड बंदी और ओछी राजनीतिक रो चालती लेखन प्रकाशन के संसार का चालू प्रभाव उनके उतारकर निकालता रहा |  ज्ञानेंद्रपति ने एक ऐसी अध्ययन शील और मनीषा धर्मी रचनाकार है जो निजी संबंधों सामाजिक नीतियों और रचनात्मक धर्म को अपने ही ढंग से रस्ते करते हुए निभाते रहे हैं  लेखन संगठनों सहित राजनीतिक और लेन-देन में शक्ति व्यवहार बर्ताव उनके कभी चिंता नहीं रही|


अपनी गतिविधियों और रचनाकार के रूप में किए जाते रहे हैं किंतु उन्हें के बीच जो रचना की जगह रचनाकार को देखकर अपने निष्कर्ष निकालते हैं कि |  क्योंकि अपने बारे में स्वयं जानते हैं कि उनका रचनात्मक व्यापार है और एक ज्ञानेंद्रपति अपने संवेदना और दृष्टिकोण में ही नहीं जीवन व्यवहार और रचना के भीतर बाहर के में भी व्यक्ति और जाहिर करते हुए और कविता के समाधि के चरणों में शतक बनाने रखने वाला रचनाकार है |  उनका संसार का लक्ष्य है| इतिहास परंपरा और स्मृतियों का ज्ञानेंद्र की कविता में एक ऐसा अद्भुत रचना प्रस्ताव है किंतु कवि को उसके समय बुध और वर्तमान में एक ऐसा विमुख युक्ति नहीं करता है बल्कि उसके विस्तार से यह देखता है कि समृद्ध करता है कि |  रचनात्मक एवं कर्मियों और दूर तक खेलती है और व्यक्तित्व है उसको |  ज्ञानेंद्रपति ने यह कहा कि आज नहीं पड़ती उसके और प्रकाश में ही सीमित इतिहास और परंपरा के अनुसार होता रहता है |  और जाने वाले की समस्या नहीं है क्योंकि उनके साथ निर्णायक रूप में ऐसा कुछ नहीं हुआ था |


दाएं और बाएं जा चुके और उनकी कविता में है नोट लिया एक अनिवार्य की तरह और भी विश्व में नहीं आता प्रदान करता है |  ज्ञानेंद्रपति ने बस तू दृश्यों प्रसंगों को निरीक्षण प्रशिक्षण का अपना अलग-अलग अंदाज आज भी बदस्तूर बनाए हुए हैं |  और कल पर सावधान चयन धर्मिता और परियों का सिलसिला उनकी कविता में आज भी अटूट रही है |  कदाचित वह  जरूरत के मुताबिक बड़ा भी सकता है |  गंगा टेक्नामक संग्रह के द्वारा अपने समकालीन ओं के बीच उन्होंने अद्भुत सर्जनात्मक और धैर्य प्रमाणित करें दिखलाया है |  उनकी कविता में और बहू रूप है  उत्सुकता बढ़ी हुई है |ज्ञानेंद्रपति  गांव का घर  वस्तुनिष्ठ प्रशन और सारांश ,bse study,gaon ka ghar


उनके कविता संग्रह दी गई है प्रस्तुत कविता उसकी कही गई बातों को उदाहरण और प्रमाणित करता है |

 गांव के घर के  …….

अतः पूर  कि वह चौखट है | 

 टिकुली सटले के लिए सजने के लिए पेड़ से छुड़ाई गई बोध का गेट व सीमा है \

 इसके भीतर से आने से पहले आना पड़ता था बुजुर्गों को भी खराब करनी पड़ती है और  खबरदार भी करना पड़ता था |

 और एक अदृश्य पार क पुकारना  पड़ता था | 

 जिसकी तर्जनी की नोक धारण किए रहती थी सारे काम सहज के पंख के चीन की तरह दर्शाता है |

  उस चौखट के बगल में गोरी लिपि जीत पर दुबे दूध के अंगूठे का छापे पड़ा हुआ था 

उठाओ ना दूध लाने वाला वाला दादा की बचपन में दूध कीमत महीने के अंतिम दिन तक एक-एक करके लाए थे |


 गांव का वह घर है की

 अपना गांव कब हो चुका है |

 राजनीति जैसा खो गए पंच परमेश्वर की तरह |

 बिजली बत्ती कब आएगी बनी रहने से अधिक रहने वाला अब के टॉप के दहेज में टीवी भी लेंगे | 

  लालटेन है कि अब दिन भर आलो में करो से ढकी रहती है |

 उजाले रात से अधिक अंधेरिया मिलती है |

 छोड़ दे अंधेरे में दिए जाने  भाव से भर्ती  | 

जब उसको चकाचौंध रोशनी में दम दस्त आर्केस्ट्रा बज रहा था तब वह कहीं बहुत दूर तक पट धड़काए है 

 आज भी आवाज नहीं आती है नहीं आवाज और नहीं रोशनी और ना ही आवाज अच्छी से  आती है | 

 चैत बिरहा आल्हा गुने होरी में |

लोकगीत को जन्म भूमि पर भटकता है और एक ऐसा जो कि गीत अपनाता है उसके अनुसार अकाश और अंधेरे को काटने लगता है |

 वह दूर से आने वाला सर्कस का प्रकाश बुलावा है तो सबका मर चुका है 

जैसा कि कोई गिर गया   तो गंलदंतो से  गवा कर कोई हाथी रेट में उन बातों की जरा ही धवल पुल पर से जंगल में वह जा रही थी | 

 कोई मुंह वाले मिलने खोले शहर में बुलाते हैं बस क्यों ? 

 अतालता और अस्पतालों में ऐसा है ले पहले भी उधर गंध आते रहते हैं मंत्रित परिसर जो बुलाता है उसकी गांव से हार की रीढ़  झुर झुर आती रहती है |


गांव का घर प्रशन उत्तर 

 

Que .  कवि की स्मृति में घर का चौखट इतना जीवित क्यों है ?

Ans  कभी को घर की स्मृति चौखट इसलिए लगता था कि कभी टिकुली सटले के लिए सहजन के पेड़ की छुड़ाई गई गोद का  गेह  का सीमा को जिसके भीतर आने से पहले आप आना पड़ता था और बुजुर्गों को चढ़ाव खटवानी भी बर्बाद करना पड़ता था तो इसे फिर उसके उधर ही रुकना पड़ता था इसलिए कभी को स्मृति में घर का चौखट जीवित लगता था |

Que .  पंच परमेश्वर के खो जाने को लेकर कवि चिंतित क्यों ? 

Ans . रांची परमेश्वर खो जाने को लेकर कभी इसलिए चिंतित था कि वह अपना घर ही खो चुका था | और पंचायती राज में जैसे खो गए थे पंच परमेश्वर | 

Que . आवाज की रोशनी या आवाज की आवाज का क्या अर्थ है ? 

Ans  आवाज की रोशनी और रोशनी का आवास का क्या अर्थ है इसका अर्थ यह है कि  अब आप की रोशनी होली चैता आदि जो गाते हैं उन्हें आवाज की रोशनी कहा जाता है और रोशनी का  आवाज का  अर्थ यह है कि जैसे कि लोकगीत हम गाया अनसुना आकाश और अंधेरे को काटता है इसे  रोशनी की आवाज कही जाती है |

Que . कविता में किस  शोकगीत की चर्चा है ?

Ans . कविता में ही अशोक गीत की चर्चा है कि लोग जन्मभूमि पर भटकता है और एक जोक गीत गाना अनसुना आकाश और अंधेरे को काटता है और 10 कोस दूर शहर से आने वाला सर्कल का प्रकाश बुलावा तू कब मर चुका है |

Bse Study


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My name is Uttam Kumar, I come from Bihar (India), I have graduated from Magadh University, Bodh Gaya. Further studies are ongoing. I am the owner of Bsestudy.com Content creator with 5 years of experience in digital media. We started our career with digital media and on the basis of hard work, we have created a special identity for ourselves in this industry. (I have been active for 5 years, experience from electronic to digital media, keen eye on political news with eagerness to learn) BSE Study keeps you at the forefront, I try to provide good content and latest updates to my readers.You can contact me directly at ramkumar6204164@gmail.com

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