रोज सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय वस्तुनिष्ठ प्रशन और सारांश

Last updated on April 8th, 2021 at 09:16 am

रोज सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय वस्तुनिष्ठ प्रशन और सारांश


 

रोज सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन वस्तुनिष्ठ प्रशन 

roj kahani objective

सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय का जन्म     :  7 मार्च 1911 ईस्वी में

सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय का निधन   :  4 अप्रैल 1987 ईस्वी में

सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय का मूल निवास  :  करतारपुर पंजाब में  

सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय माता-पिता  :  माता  व्यंती  देवी  पिता  डॉक्टर हीरानंद शास्त्री 

सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय उनका शिक्षा  :  प्रारंभिक 4 साल लखनऊ में घर पर | और मैट्रिक 1925 ईस्वी पंजाब विश्वविद्यालय से |  और इंटर 1927 ईस्वी में मद्रास क्रिशिचयन  कॉलेज से किए थे |  बीएसएससी 1929 में फोरमन कॉलेज लाहौर पंजाब (  वर्तमान पाकिस्तान)   एम  ए ( अंग्रेजी पूर्वाधार) लाहौर से किए थे |  क्रांतिकारी आंदोलन में गिरफ्तार हो जाने से पढ़ाई में उनका बाधित हो गई | 

भाषा ज्ञान  :  संस्कृत अंग्रेजी हिंदी में अतिरिक्त आरती अनिल आदि अनेक भाषाओं का ज्ञान था |


व्यक्तित्व एवं स्वभाव   :  सुंदर लंबा गठीला शरीर सुरुचि   सूव्यवस्था  एवं अनुशासित प्रियता |  एकांत प्रिय अंतर्मुखी स्वभाव |  गंभीर एवं चिंतनशील मितभाषी |  अपने मौन एवं वित्त भाषण के लिए प्रसिद्ध थे |  पिताजी का तबादला होते रहने के कारण लखनऊ कश्मीर और पटना मद्रास आदि स्थान पर उनके साथ रहने और परिश्रम का संस्कार बचपन में ही मिल चुका था | 

 
अभिरुचि :  बागवानी पैटर्न अध्ययन आदि के अलावा दर्जनों प्रकार से पेशेवर कार्यों के क्षमता थी | ऑटोग्राफी की शादी में प्रवीणता थी |  अमेरिका सहित कई देशों की  यात्राएं किए थे | 

सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय सम्मान एवं पुरस्कार  :  साहित्य अकादमी भारतीय ज्ञानपीठ सूरगा   ( युगोस्लाविया )  का अंतरराष्ट्रीय वर्णमाला आदि पुरस्कार मिले थे |  देश-विदेश के अनेक विश्वविद्यालयों में  विजिटिंग प्रोफेसर के रूप में आमंत्रित हुए थे | 

 पत्रकारिता  :  सैनिक (  आगरा)  विशाल भारत ( कोलकाता )  प्रतीक (   प्रयाग )  दिनमान (  दिल्ली )  नया प्रतीक ( दिल्ली)  नवभारत टाइम्स ( न्यू दिल्ली)  एवरीमैनस ( अंग्रेजी में संपादन की) | 

सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय कृतियां   :  10 वर्ष की अवस्था में कविता लिखना शुरु कर दी |   घर में एक हस्तलिखित पत्रिका आनंदबंधु   निकालते थे |  1924- 25 में अंग्रेजी में एक उपन्यास लिखा था जो 1924 में पहली कहानी इलाहाबाद की  स्काउट पत्रिका सेवा में प्रकाशित  69 ईसवी के बाद नियमित लेखक हुए |  विपथगा  जयदोल  ए तेरे प्रतिरूप छोड़ा हुआ लॉटरी आदि शेखर एवं जीवनी का प्रथम भाग 1941 से द्वितीय भाव में19 44 नदी के तीर्थ में 1952 अपने-अपने अजनबी  1961 उपन्यास उत्तर प्रदर्शित 1967 ईस्वी में किए थे |  एक बूंद सहसा उछली 1961 ईस्वी | सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय हिंदी के आधुनिक साहित्य में एक प्रमुख और प्रतिभा व्यक्ति करी थी वैध होने के हिंदी साहित्य के एक प्रमुख कवि कथाकार विचार एवं पत्रकार थे |  शहीद की अनेक विधाओं यात्रा साहित्य आलोचना डायरी आदि ने भी उनका महत्वपूर्ण  अनुदान रहा था |  विशाल साहित्य की है साहित्य लेखन के अतिरिक्त चंपारण निर्देशक अभिप्रेरणा आदि के द्वारा कि उन्होंने अपने चमक को विस्तार दिया था |


  द्वितीय महायुद्ध के दौरान हुई थी

| अपनी जीवन सैलानी रहे यात्रा करना उनका स्वभाव था |   हिंदी लेखक में कलाकार कोई ऐसा शायद होगा जो  की तरह परस्पर 20 तरह के कार्यों में पेशेवर क्षमता था  करती हो रुचि और समिति विविधता ए के कारण उनके व्यक्तित्व में विशेष प्रकार का विस्तार गहराई संगठित हुई और विलक्षण लेखक बन गए थे | साहित्य में प्रेमचंद और जयशंकर प्रसाद के बाद आए महत्वपूर्ण क्रांतिकारी परिवर्तन में की भूमिका निर्णायक रही |  हिंदी कथा में मनोवैज्ञानिक जैनेंद्र कुमार आगे को दिया जाता है |  इसके साथ बौद्धिकता नैतिक वैचारिक सच बता और कलात्मकता भी ^^^ ने हिंदी कथा में जोड़ी है | जीने हिंदी कविता के भावी विकास का प्रारूप अपना कहानी द्वारा प्रस्तुत किया | बिना के नई कहानी की कल्पना नहीं किया जा सकती है | डॉक्टर पति के काम पर चले जाने के बाद सारा समय मालती को घर में एकाकी काटना होता है | उसका दुर्बल बीमारी और पुत्र हमेशा सोता रहता था |  यह रोता रहता था| मालती रात 11:00 बजे तक के कार्यों में  व्यस्त रखती है | दोपहर में उच्च सूने आंगन में पैर रखते ही मुझे ऐसा जान पड़ा मानो उस पर किसी का पीछा या मर्डर आ रही हैं|  उसका वातावरण में कुछ ऐसा कथ्य  किंतु फिर भी बोझल और  प्रकमय   घना सा- सा  सोनाट   फैला रहा  था|


            मेरी आहट सुनते ही मालती बाहर निकल आती थी | 

मुझे देखकर पहचान कर उसके मुरझाई हुई मुख- मुद्रा तकनीक से मीठे विश्व में से जागी थी और फिर पूर्व  हो गई  | उसने कहा आ जाओ |  और फिर बिना उतार की परीक्षा किए भीतर की ओर चली आई |  मैं भी उसके पीछे हो लिया |

  भीतर पहुंचकर मैंने भी पूछा   वे यहां नहीं है|

 ‘’’अभी आई नहीं दफ्तर में है | थोड़ी देर बाद आ जाएगी |  कोई डेट 2:00 बजे आया करते हैं | 

 ‘’सब के गए हुए हैं ? 

‘’ सवेरे उठते ही चले जाते हैं |’’’’’

 मैं हूं  काकर पूछने को हुआ ‘’’ और तुम इतनी देर से क्या कर रही थी | पर फिर सोचे आते ही एकाएक प्रश्न ठीक नहीं है |  मैं कमरे के चारों ओर देखने लगा मालती एक पंखा उठा लाए और मुझे हवा लगाने लगी मैंने  आपत्ती  ‘’’ करते हुए कहा’’’ नहीं मुझे नहीं चाहिए ‘’’ परवाह नहीं माननी चाहिए कैसे नहीं ?  इतनी धूप में तो आई हो यहां तो


मैंने कहा अच्छा लाओ मुझे दे दो

वह शायद ना जाने वाला थी जब तक दूसरे कमरे से शिशु के रोने की आवाज सुनकर उसने चुपचाप पंखा मुझे देखकर घुटने पर हाथ रख कर एक थकी हुई बुक करके उसके भीतर चली गई | 

 के जाते ही दुबले शरीर को देखकर सोचता यह रहा क्या है ……. यह कैसी छाया है इस घर में छाई हुई है ? मालती मेरी दूर के रिश्ते की बहन है किंतु उसे साथी कहना ही उचित है क्योंकि हमारा प्रश्न पर निबंध सही ही रहा है | बचपन में हम इकट्ठे किए थे और पीते थे और हमारी पढ़ाई भी बहुत सी इकट्ठे हुई थी हमारे व्यवहार में सदस्य स्वेच्छा का स्वस्थ रही थी | 

 मैंने उसे बुलाया ‘’ टीटी  टीटी आवाज जा रही है पर वह अपनी बड़ी बड़ी आंखों से मेरी ओर देखता हुआ अपनी मां से लिपट गया और वासु होकर कहने लगा  | ई ई ई ई ई | 

 मालती ने फिर उसकी और एक नजर देखता रहा और फिर आज आंगन में की ओर देखने लगी काफी देर तक मान रहा थोड़ी देर तक तो हुआ मोना स्वीकृति रहा था जिसमें मैं प्रतीक्षा में था |

 उसने एकाएक चौक कर कहा है ?

 प्रश्न सूचक इसलिए नहीं किंतु इसलिए नहीं कि मालती ने मेरी बात सुनी नहीं थी केवल विवश के कारण इसलिए मैंने अपनी बात बुराई नहीं चुपचाप बैठी रहे |  मालती कुछ बोली ही नहीं अब थोड़ी देर बाद मैंने उसकी ओर देखा |  और वह भी मेरी ओर देख रही थी कि तुम मेरे उधर उन्मुख होती ही उसने आंखें नीची कर ली | 

 मैंने उत्तर दिया वाह ‘’| देर से खाने पर तो और भी अच्छा लगता है भूख बड़ी ही होती है तो शायद  मालती की बहन को कष्ट होगा 

मालती तो कर बोली कि ओहो’’ मेरे लिए नई बात तो नहीं है कि रोज ही ऐसा होता रहता है मेरे साथ|

 मालती के गोद में बच्चे लिए हुए थे बच्चा रो रहा था पर उसकी और कोई भी ध्यान उनका नहीं था |


 मैंने कहा’’’’ यह रोता है क्यों/ 

 मां की बोली हो ही गया चिड़चिड़ा सा हमेशा रहता है | फिर बच्चे को डांट है चुप चुप चुप कर|  लगता है |  मालती ने भूमि पर बैठा दिया ‘’ और बोला ले  रो ले तू |  रोटी मेरे आंगन में वह चली आई |  मालती मानव किसी और देश की बात करती थी गोली यहां सब्जी सब्जी तो कुछ होती ही नहीं है | और कोई आता जाता ही नहीं तो नीचे से मंगा लेते हैं मुझे आए 15 दिन हुए हैं जो सब्जी साथ लाए थे वही अभी तक चल रही है |

मैंने पूछा;; नौकरी नहीं है कोई का? 

‘’ कोई ठीक नहीं मिला शायद दो 1 दिन में हो जाए | 

 बर्तन भी तुम ही मानती हो क्या ? 

 और कौन है तुम्हारे यहां ‘’ आकर मालती क्षणभर आगन में जाकर लौट आई||

 मैंने पूछा कहां गई थी तुम? 

आज पानी ही नहीं हम बर्तन आज कैसे मानेंगे \

 क्यों पानी को क्या हुआ है आज नहीं आया है ?

 रोज ही ऐसा होता है ‘’’’ कभी वक्त ऐसा आता है कि आज शाम को 7:00 बजे आएगा तब बर्तन मांज आएगा ऐसा हालात आ जाता है ? 

मैंने पूछा की’’’ तुम पढ़ी लि 

 यहां ‘’’ कार मारुति थोड़ा हंस दी ?  वह हंसी कर रही थी ?  यहां पढ़ने को क्या है ? मैंने कहा अच्छा मैं वापस जाकर जरूर पूछो गुस्सा के तुम्हारे लिए भी भेज दूंगा और वार्तालाप फिर समाप्त हो गया
|

थोड़ी देर में मालती ने फिर पूछा हाय कैसे हो  लहरी में आए हो?

 

.. पैदल आया हूं ? 

इतनी दूर ‘’ तूने बड़े कीमत की है? 

आखिर मैं तुमसे मिलने आई | 

 ऐसी ही आए हो क्या?? 

 नहीं कुली के पीछे आ रहे हैं समान लेकर | मैंने तो सोचा बिस्तर ले चली |

अच्छा किया यहां तो बस…………… कह कर मालती चुप रह गई तब तुम कहोगे बहुत जोर से तुम्हें नींद आ रही होगी| 

‘’ नहीं मैं बिल्कुल नहीं खाता हूं ? 

  रहने दो थके नहीं भला नहीं था कहां है ? 

‘’ और तुम अब क्या करोगी ? 

 ‘’’  मैं बर्तन मांज लूंगा और क्या करूंगा ? 

‘’ मैंने फिर कहा’’ वाह’’’ क्योंकि और कोई बात मुझे तुझे ही नहीं खी हो या नहीं ?  मैं चारों ओर देखने लगा कि कहीं किताब दिल पड़े या नहीं ?


roj kahani objective रोज सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय वस्तुनिष्ठ प्रशन और सारांश 

My name is Uttam Kumar, I come from Bihar (India), I have graduated from Magadh University, Bodh Gaya. Further studies are ongoing. I am the owner of Bsestudy.com Content creator with 5 years of experience in digital media. We started our career with digital media and on the basis of hard work, we have created a special identity for ourselves in this industry. (I have been active for 5 years, experience from electronic to digital media, keen eye on political news with eagerness to learn) BSE Study keeps you at the forefront, I try to provide good content and latest updates to my readers.You can contact me directly at ramkumar6204164@gmail.com

Leave a Comment