त्रिरिछ || उदय प्रकाश वस्तुनिष्ठ प्रशन और सारांश|| त्रिरिछ उदय प्रकाश 

Last updated on February 28th, 2024 at 01:26 pm

त्रिरिछ || उदय प्रकाश वस्तुनिष्ठ प्रशन और सारांश|| त्रिरिछ उदय प्रकाश 

 त्रिरिछ उदय प्रकाश वस्तुनिष्ठ प्रशन 

उदय प्रकाश वस्तुनिष्ठ प्रशन और सारांश trichh objective

प्रशन : तिरिछ कहानी के लेखक कौन है  ? 

उत्तर : तिरिछ कहानी के लेखक उदय प्रकाश हैं | 

प्रशन :  उदय प्रकाश का जन्म कब हुआ था ? 

उत्तर : उदय प्रकाश का जन्म 1 जनवरी 1952 को हुआ था  ? 

प्रशन : उदय प्रकाश का जन्म स्थान कहां है ? 

उत्तर : उदय प्रकाश का जन्म स्थान सीतापुर  अनूपपुर मध्य प्रदेश है | 

प्रशन : उदय प्रकाश का  पिता का क्या नाम था ?

उत्तर :  उदय प्रकाश पिता का नाम प्रेम कुमार सिंह था | 

प्रशन  उदय प्रकाश का माता का क्या नाम था ? 

उत्तर : उदय प्रकाश का माता का नाम गंगा देवी   | 

 उदय प्रकाश शिक्षा :  बी 0 एससी :  M.a. हिंदी ,सागर विश्वविद्यालय सागर, मध्य प्रदेश


                त्रिरिछ उदय प्रकाश सारांश 

उदय प्रकाश के लेखक का यह तीसरा दशक चल रहा है  | पिछले दो दशकों में हिंदी लेखन में उन्होंने एक अग्रणी एवं महत्वपूर्ण लेखक और पहचान अर्जित की है| 1980 के आसपास में एक कवि के रूप में पाठकों के समक्ष उदित हुए थे | अपने विषय चयन का सीधी संबोधित भाषा ताजगी भरी मुहावरे और अनौपचारिक संवेदना के कारण उन्होंने कविताओं द्वारा सभी जनों को आकृष्ट किया था |  कविता के क्षेत्र में उनका कार्य चलता रहा और इसी बीच उन्होंने कहानी विदा पर अपना ध्यान केंद्रित किया था | कहानी की हालत ना केवल अच्छी नहीं थी बल्कि बुरी और चिंता  जनक थी |  तरह-तरह के आंदोलन आत्मक नारों और अनु और गैर रचनात्मक हद में वैचारिक अभियानों के बीच हुआ बदहाली में पड़ी हुई थी |  उनकी हालत कुपोषण के शिकार बच्चों जैसे कि जिनके हाथ पैर पतले और हरियल पड़ गए हो तथा पेट असाधारण रूप से बड़ा हो गया  हो |  उदय प्रकाश यहां अनुभव और उसके अनुरूप अभिव्यक्त के लिए पता नहीं पड़ा  वह कभी खुद को  दोहराते नहीं थी |  सामयिक  को गहरे इतिहास बोध के साथ उसकी पूरी तल्खी कुर्ता और ध्यान रखता के साथ अनुरूप और भाषा में बयान करते हैं उनके अनुभव में खासा भी दिए हैं गांव और शहर मध्यवर्ग और  निम्न वर्ग आदि के परंपरागत विभाजन के यहां संगीत हो चुके हैं |  प्रस्तुत उनकी प्रसिद्धि कहानी तिरछी एक उत्तर आधुनिक त्रासदी है|  आज के युग में समय बहुत दूर तक वैश्विक और संभव हो चुका है|  विकास की दृष्टि से दुनिया के देशों का चाहे अभी विभाजन किया जा सकता हूं | ऐसे में भारत जैसे देश में यथार्थ और समय के बीच कहानी नई पीढ़ी के प्रतिनिधि बेटे के दृष्टिकोण से लिखी गई है | बाबूजी के बारे में है  जो सुदूर गांव में रहते वह शहर जाते और फिर शहर में उनके साथ जो कुछ घटित होता है, कहानी के बारे में है |  जो घटित हुआ वह अत्यंत अप्रत्याशित दारू और व्यापक है | आम बदल यह भी शिकार बाबूजी बनते हैं बेटे के सपने में  बनाकर प्रकट होता है |किसी एक विषय ना और नामक जंतु है जो कहानी में प्रतीक बन जाता है | इस कहानी को जादुई यथार्थ की कहानी भी कहा जाता है | यह यथार्थ बाबूजी की गवाही वास्तविकता को पीछे छोड़कर और आगे बहुत आगे बढ़ चुके शहर के तथाकथित आधुनिक समय की रेंज में पता है दुनिया के उन देशों में जाए अर्थात और स्नेह के बीच ऐसी खास उमरी वहां जादुई यथार्थ प्रकट हुआ है | तिरछी कहानी को जादुई यथार्थ की कहानी कहा जाता है  | 

कभी-कभी वैसे सालों में एक बार ही होता |  सुबह शाम को घर में अपने साथ कहीं टहल लाने के लिए बाहर ले जाते | चलने से पहले वे मुंह में तंबाकू भर लेते थे |  तंबाकू के कारण वह कुछ बोल नहीं पाते थे | वह चुप रहते थे | यह चुप्पी हमें बहुत गंभीर गौरवशाली आश्चर्यजनक और भारी-भरकम लगती थी | छोटी बहन कभी उनसे रास्ते में कुछ पूछना चाहती तो फौरन मैं उसका जवाब देने की कोशिश करता ,  जिससे पिताजी को बोलना ना पड़े | यह काम काफी मुश्किल और जोखिम भरा होता |  क्योंकि मैं जानता था कि अगर मेरा जवाब गलत हुआ तो पिताजी को बोलना पड़ जाएगा | बोलने में उन्हें परेशानी होती थी | एक तो तंबाकू की पिक निकाली पड़ती थी | फिर जिस दुनिया में रहते थे वहां से निकल कर यहां तक आने में उन्हें एक कठिन दूरी तय करनी पड़ती  | वैसे बहन के सवालों में कोई खास बात होती नहीं थी | वह यही पूछ लेती कि सामने झूले की सूखी टहनी पर बैठी चिड़िया को क्या कहते हैं ?  मैं चुकी सारी चिड़ियों को जानता था इसलिए बता सकता था कि वह नीलकंठ है और दशहरे की दिन उसे जरूर देखना चाहिए मेरी कोशिश रहती थी कि पिताजी को आराम रहे और वे सोचते रहे | मां और दोनों की पूरी कोशिश रहती थी कि पिताजी अपनी दुनिया में सुख चैन से रहें | वह दुनिया हमारे लिए बहुत  रहस्य पूर्व    थी |लेकिन हमारे घर की और हमारे जीवन की बहुत सी समस्याओं का अंत पिताजी वही रहते हुए करते थे | जब मेरी फीस की बात आए , उस समय हमारे पास का आखरी गिलास जी गुम हो गया था | सब लोग लोटे में पानी पीते थे पिताजी 2 दिन तक बिल्कुल चुप रहे थे | मां को भी शक हुआ कि पिताजी हित की बात बिल्कुल भूल गए हैं |  या फिर इसका हल उनके बस की बात नहीं है | लेकिन तीसरे दिन सुबह सुबह पिताजी ने मुझे एक पत्र लिफाफे में रखकर दिया और शहर के डॉक्टर पंत के पास भेजा |  मुझे बहुत आश्चर्य हुआ जब डॉक्टर ने मुझे सरबत पिलाए घर के भीतर ले जाकर अपने बेटे से परिचय कराया और  100 100  तीन नोट मुझे दिए थे | हम पिताजी पर गर्व करते थे प्यार करते थे, उनसे डरते थे और उनके होने का एहसास होता था जैसे हम किसी किले में रह रहे हो| ऐसा किला जिसके चारों ओर गहरी नैहरे खुदी हुई जो बहुत ऊंची ही दीवारों सख्त लाल चट्टानों की बनी हुई हूं और बाहरी हमले के सामने हमारा किला अवैध हो |

दरअसल आदमी जब भागता है तो जमीन पर वह सिर्फ अपने पैरों के निशान ही नहीं छोड़ता बल्कि हर निशान के साथ , वहां की धूल में अपनी गंध भी छोड़ जाता है |  इसी   गंध के सहारे दौड़ता है | अरुण ने बताया कि तिरछी को चकमा देने के लिए आदमी को यह करना चाहिए | पहले  छलांग दे  तिरछी सोता हुआ दौड़ता आएगा जहां 5 पास पैर के निशान होंगे वहां उनकी रफ्तार तेज हो जाएगी और जहां से आदमी ने छलांग मारी होगी वहां आकर वर्क उलझन में पड़ जाएगा जाने क्यों मुझे शक था कि पिताजी को उचित जी ने काटा था जिसे मैं पहचानता था और जो मेरे सपने में आता था | अगली सुबह पिताजी को शहर जाना था अदालत में पेश होने की उनके नाम समान आया था हमारे गांव से लगभग 2 किलोमीटर दूर निकलने वाले सड़क से शहर के लिए बसें गुजरती थी उनकी संख्या दिन भर में मुश्किल से दो या तीन थी गनीमत थी कि पिताजी जैसे ही सड़क तक पहुंचे शहर जाने वाला पास के गांव का एक ट्रेक्टर मुझे मिल गया ट्रैक्टर में बैठे हुए लोग पहचानने के ट्रैक्टर दो ढाई घंटे में पहुंचा देता था अदालत पुणे से काफी पहले रास्ते मिर्ची वाली बात चली पिताजी ने अपना रखना उन लोगों को दिखलाया ट्रैक्टर में पंडित राम अवतार जी थे | उन्हें बताया कि शहर की एक खासियत यह भी है कि कभी-कभी 24 घंटे बाद , इसी वक्त इस वक्त पिछले दिन की काटता है अपना असर दिखाता है |उदय प्रकाश वस्तुनिष्ठ प्रशन और सारांश trichh objective

त्रिरिछ उदय प्रकाश  trichh objective

Read More : Bihar Board 12th Sent Up Exam 2023 Hindi Objective Question

My name is Uttam Kumar, I come from Bihar (India), I have graduated from Magadh University, Bodh Gaya. Further studies are ongoing. I am the owner of Bsestudy.com Content creator with 5 years of experience in digital media. We started our career with digital media and on the basis of hard work, we have created a special identity for ourselves in this industry. (I have been active for 5 years, experience from electronic to digital media, keen eye on political news with eagerness to learn) BSE Study keeps you at the forefront, I try to provide good content and latest updates to my readers.You can contact me directly at ramkumar6204164@gmail.com

Leave a Comment