कड़बक || मलिक मोहम्मद जायसी || Kadbak Malik Muhammad Jayasi Objective
कड़बक मलिक मोहम्मद जायसी
Kadbak Malik Muhammad Jayasi Objective
1. कड़बक के लेखक कौन है ?
उत्तर : कड़बक के लेखक मोहम्मद जायसी है |
2. मलिक मोहम्मद जायसी का जन्म कब हुआ ?
उत्तर : मलिक मोहम्मद जायसी का जन्म 1492 हुआ |
3. मलिक मोहम्मद जायसी जी का निवास स्थान कहां है ?
उत्तर : मलिक मोहम्मद जायसी जी का निवास स्थान कब्र अमेठी ,उत्तर प्रदेश है |
4. मलिक मोहम्मद जायसी का पिता का क्या नाम था ?
उत्तर : मलिक मोहम्मद जायसी का पिता का नाम मलिक शेख ममरेज ( मलिक राजे अशरफ ) |
5. मलिक मोहम्मद जायसी का मृत्यु ( निधन ) कब हुआ ?
उत्तर : मलिक मोहम्मद जायसी का निधन 1548 हुआ |
6. मलिक मोहम्मद जायसी जी का कृतियां कौन-कौन है ?
उत्तर : मलिक मोहम्मद जायसी का कृतियां पद्मावत , अखरावट , आखरी कलाम , चित्रलेखा , कहरानामा ( महरी बायसी ) मसला या मसलनामा ( खंडती प्रति प्राप्त ) |
मलिक मोहम्मद जायसी ‘ प्रेम की पीर ‘ के कवि हैं |
वृत्ति आरंभ में जायस में रहते हुए किसानी , बाद में शेष जीवन फकीरी में, बचपन में ही अनाथ साधु फकीरों के साथ भटकते हो बचपन बीता था |
व्यक्तित्व चेचक के कारण रूपहीन तथा बाई आंख और कान से वंचित | म्रदुभाषी , मनस्वी और स्वभाव : संत |
गुरु सूफी संत शेख माहिदी और सैयद अशरफ जहांगीर |
कड़बक सारांश
मलिक मोहम्मद जायसी लोक जीवन में प्रचलित प्रेम कथाओं को आधार बनाकर चंदू वध कथा काव्य लिखने की परिपाटी प्राकृत और अपभ्रंश साहित्य में ही रही थी वह संस्कृत में भी रही हो | यह परिपाटी साधारण जन जीवन के प्रत्यक्ष अभिप्रेरणा और संरक्षण में आगे उत्तरोत्तर बढ़ती हुई हिंदी में अभ्यास चलती चली आई इसे हिंदी में प्रेमाख्यान काव्य कहते हैं | किसानों और कारीगरों की भाषा अवधि में ब्रज की गति मेहता और कौन लता की तुलना में कथा वृत्तियों को विवरण और विस्तार में सहित सकने की क्षमता थी | अन्य मुसलमान कभी हुए जिन्होंने पहले से जन प्रचलित प्रेम कहानियों को सुखी प्रेम साधना के अधिकारियों से सम्मिलित कर कवि के रूप दिए मुन्ना बौद्ध से लेकर जानकारी और उससे भी आगे तक यह परंपरा अवैध रूप से चलती रही मलिक मोहम्मद जायसी इस परंपरा की| जायसी के नीचे आने की कॉपी प्राप्त होते हैं जो आचार्य रामचंद्र शुक्ल , डॉक्टर माता प्रसाद गुप्त अनेक विद्वानों द्वारा अलग-अलग जायसी ग्रंथावली के नाम से संपादित है | जायसी की उज्जवल अमर कृति का आधार है उनका महान कथाकार पद्मावत जिसमें चित्तौड़ नरेश रतन सेन और हरदीप की राजकुमारी पद्मावती की प्रेम कथा है प्रेम कथा का रिपोर्ट पूरा होता है दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन के इस कहानी से जुड़ जाने से| ऐतिहासिक आधार वाली इस कहानी का विकास जन सुर्खियों एवं आकर्षक रवि की सृजनात्मक कल्पना द्वारा हुआ | मलिक मोहम्मद जायसी प्रेम पीर के कवि हैं मार्मिक अंत व्यर्थ से भरा हुआ यह फ्रेम अत्यंत व्यापक गुड आसियों वाला और महिमा में है | मलिक मोहम्मद जायसी यह विभिन्न पात्रों को अमित चरित्रों के रूप में निकालते हुए उन्हें एक दिशा देकर परियों तक पहुंचा देता है | पद्मावत के आसियान में सजीव कहानी का मर्म एक्सप्रेस वेदना में रस है और चरित्रों , सुलगते है जो पाठ को श्रोताओं अपने लपेटे में ले जाते हैं इस प्रेमाख्यान और काव्य द्वारा B2 और कलर के उस यंत्र यंत्रणा में समय में धार्मिक सांस्कृतिक सामाजिक और साझेदारी की ऐसी जमीन जायसी ने तैयार की जो हमारी बहू मूली विरासत का हिस्सा है | मलिक मोहम्मद जायसी की इस प्रेम कहानी में प्राणों का प्राणों से, हद्य का हद से धर्म का मर्म से और जीवन विवेक का जीवन विवेक से इस ईशा मानवी मेल है जो उनके काव्य को बहुत ऊंचा उठा देता है और उसने व्यापकता और गहराई एक साथ ला देता है हां जैसी मीठी और खाली अवधि में लिखे गए इस काव्य में कवि की विशाल हत्या का मार्मिक अंतर्दृष्टि और लोकजीवन के विस्तृत ज्ञान की अभिव्यक्ति हुई है प्रस्तुत दो कड़वा अलग-अलग संकलित है यह पद्मावत के क्रम से प्रारंभिक और अंतिम शब्दों में से है किंतु मलिक मोहम्मद जायसी कवि और काव्य की विशेषताएं निरूपित करते हुए दोनों के बीच एक अध्यक्ष की व्यंजना करते हैं प्रारंभिक स्तुति खंड के लिए गए प्रथम क्रमांक में कभी एक विनम्र स्वाभिमान के साथ अपनी ग्रुप हीनता और एक आंख के अंधे पर प्राप्त दुष्टों द्वारा मेहमान वित्त करते हुए रूप से अधिक अपने गुणों को हमारा ध्यान खींचते हैं उनके ही कारण पद्मावत जैसे महाकाव्य की रचना हो सकी है | अंत के उपसंहार के लिए वित्तीय कड़क की छवि अपने काव्य और उसकी कथा समिति के बारे में हमें बताते हैं वे कहते हैं कि उन्होंने इसे रक्त की नई लगाकर जुड़ा है जो गाड़ी प्रीति के नयन जल में भी वही हुई है राजा रतन सेन है और ना वह रूपवती पद्मावती रानी है ना यह बुद्धिमान वह और ना राघव चित्र अलाउद्दीन ही | इनमें कोई आज नहीं रहा किंतु उनके यश के रूप में कहानी रह गई | फुलझर नष्ट हो जाता है उसकी खुशबू रह जाती है मलिक मोहम्मद जायसी जी का यह कहा जाता है कि एक दिन वह भी नहीं रहेगा उसकी कृति सुगंध की तरह पीछे रह जाएगी जो भी इस कहानी को पड़ेगा वही उसे 2 शब्दों में संस्मरण करेगा कभी अपना कलेजे से यह आत्मविश्वास सार्थक और बहुमूल्य है | मलिक मोहम्मद जायसी के माध्यम से हिंदी साहित्य ने ना सिर्फ अपने युग की बल्कि लोगों के भीतर कड़क की हुई मानवीय विस्तार की तस्वीरें देखी जिससे निष्कला आदर्श भी है और बहुत कड़वा यथार्थ भी है झिलमिलाती उटोपिया अभी रिक्स खोरी पर चलते हुए कारगर भी है और शाखा भी है और छल से भरा हुआ जनकारी राज हटवी है इस कवि की निर्मलता इसमें नहीं है कि जायसी सिर्फ चुनी हुई निष्कलंक चीजें देखते हैं बल्कि इसमें है कि अच्छा बुरा जो कुछ भी है अपनी विविधता के साथ संपूर्ण परिदृश्य का अंग हो गया है | प्रस्तुत कवक मलिक मोहम्मद जायसी की महा ग्रंथ पद्मावत से लिया गया है पहला कर वर्क पद्मावत के शुरू के स्तुति खंड से और दूसरा कड़वा उपसंहार से लिया गया है जायसी जी अपनी की स्थिति को लेकर बिल्कुल हसरत है कि उनके ना रहने के बाद भी उनके पाठक उनके याद करेगी कभी यह भी कहना चाहता है एक दिन वह भी नहीं रहेगा पर उसकी प्रीति सुगंध की तरह पीछे रह जाएगी जो भी इस कहानी को पड़ेगा वहीं से 2 शब्दों में स्मरण करेगा रवि का अपने कॉलेजों के खून से रचित काव्य के प्रति आत्मविश्वास अत्यंत सार्थक और बहुमूल्य है मोहम्मद यही कवि जोरी सुनावा सुना जो पेम पीर गा पावा |
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