मोहन राकेश सिपाही की मां || Sipahi ki maa mohan rakesh

Last updated on February 28th, 2024 at 01:05 pm

मोहन राकेश सिपाही की मां ,Sipahi ki maa mohan rakesh 

 सिपाही की मां मोहन राकेश  Objective 

 मोहन राकेश का जन्म : 8 जनवरी 1925 को हुआ

मोहन राकेश का जन्म स्थान : जनडीवाली गली अमृतसर पंजाब में 

 मोहन राकेश का निधन:  3 दिसंबर 1972 को हुआ

 मोहन राकेश का बचपन का नाम  : मदन मोहन गुगलानी था | 

 माता – पिता :  वचन कौर एवं करमचंद गुगलानी (पेशे से वकील ,साहित्यिक – सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़ाव ) | 

शिक्षा :   M.A (संस्कृत)  लाहौर ओरिएंटल कॉलेज , जालंधर से M.A ( हिंदी ) | 

मोहन राकेश की कृतियां :  इंसान के खंडहर (1950 ) ,नए बादल  ( 1957 ) जानवर और जानवर ( 1958 ) एक और जिंदगी  ( 1961 ) , फौलाद का अवकाश  (1972 ) ,वारिस ( 1972 )  सभी कहानी संग्रह | अंधेरे बंद कमरे(  1961 ) न आने वाला कल (1970 ), अंतराल (1972) सभी उपन्यास | आषाढ़ का एक दिन (1958 ),लहरों के राजहंस (1963 ),आधे अधूरे (1969)  ,सभी नाटक पैर तले की जमीन ,अंडे के छिलके और अन्य एकांकी (1973 ) ,सभी एकांकी | आखिरी चट्टान तक (  यात्रा वृतांत ) परिवेश , रंगमंच और शब्द , कुछ और अविष्कार नई निगाहों के सवाल व कलम खुद ( लेख निबंध ) मृच्छकटिकम् ,अभिज्ञान सांखला एक औरत का चेहरा अनुवाद समय साथी जीवन संकलन मोहन राकेश की डायरी निधन उपरांत प्रकाशित शोध कार्य नाटक में यही शब्द की खोज विषय पर नेहरू सिलौटी के अंतर्गत कार्य पूरा नहीं कर पाए | 

 वृत्ति :  दिल्ली विश्वविद्यालय में अध्ययन | ‘ सारिका ‘के कार्यालय में नौकरी 1947 के आसपास एलफिंस्टन कॉलेज ,मुंबई में हिंदी के अतिरिक्त भाषा प्राध्यापक | कुछ समय तक D.A.V. कॉलेज जालंधर में प्रवक्ता | 1960 में दिल्ली विश्वविद्यालय में प्राध्यापक | 1962 में सारिका की संपादक | अंत में मृत्यु पर्यंत स्वतंत्र लेखन |  

मोहन राकेश ‘ नई कहानी ‘ आंदोलन के प्रमुख हस्ताक्षर थे |  वे बीसवीं सदी के उत्तर भारतीयों के प्रमुख कथाकार एवं नाटककार थे | कथा साहित्य के अंतर्गत उन्होंने कहानियां और उपन्यास लिखे हैं | नाटक के क्षेत्र में तो वे जयशंकर प्रसाद के बाद की सबसे बड़ी प्रतिमा माने जाते हैं आधुनिक हिंदी नाटक और रंगमंच की युगांत कारी प्रतिभा के रूप में वे अखिल भारतीय ख्याति अर्जित कर चुके हैं हिंदी का आधुनिक रंगमंच उन्हें अपना प्रमुख प्रेरणा पुरुष मानता है वह रंगकर्मी अभिनेता या रंग निर्देशक नहीं थी महज नाटककार थी किंतु उनके नाटकों की परिकल्पना इतनी ठोस जटिल और आधुनिक रंग संकल्पना को सच नामक रूप से उत्तेजित करने वाले की आधुनिक रंगमंच का हिंदी में जो नवीन संगठन से जन्म हुआ उस पर मोहन राकेश की निर्णायक छाप पड़ी थी इतना ही नहीं हिंदी में उनके समाकलीना में अनेक लोगों ने आधुनिक विषय वस्तु तथा कथ्य और रामधन के जो नाटक लिखे उनके पीछे इस क्षेत्र में अपने कार्यों से मोहन राकेश के द्वारा लाई गई हलचल की प्रत्यक्ष रोज प्रेरणा है | 

मोहन राकेश देहात के घर का आंगन , अंधेरा और  सीलदार |  आंगन के बीचो बीच  एक  खस्ताहाल  चारपाई पड़ी हुई है  एक और वैसी ही चारपाई  दीवार के साथ रखें हुई है |  दाएं कोने में  दो-तीन  मिट्टी की हड्डियां पड़ी है |  सामने एक लकड़ी का टूटा हुआ दरवाजा ,  जो घर के अंदर खुलता है |  दरवाजे पर एक अंगोछा और चारपाई पर एक फटी हुई धोती सूख रही  है |   बाई और बाहर जाने की रास्ता है ,   जिसमें दरवाजा नहीं है |  पर्दा उठाने पर बिजली चारपाई के पास मूल्य पर बैठी चरखे पर सूत काटती दिखाई देती है |

मुन्‍नी : पीछे की ओर मुड़ कर उत्तेजित  स्वर से डाक वाली गाड़ी आ गई मां मैं अभी पूछ कर आती  हूं | 

मुन्‍नी चली जाती है|  विष्णु आंखें मूंदकर हाथ जोड़ लेती है कबूतरों की गुटर गुटर का स्वर पहले तेज होकर फिर मंद हो जाता है | विष्णु आंखें खोलकर दरवाजे की ओर देखती है |  मुन्नी निराश और थकी सी लौटकर आती है | 

बिशनी : क्यों री , डाक वाली गाड़ी ही थी ?

मुननी : हाँ डाक वाली गाड़ी ही थी ! 

घोड़ा गाड़ी के चलने और क्रमशः  दूर होने का शब्द सुनाई देता है | मुननी बिशनी मोढ़े के पास फर्श पर बैठ जाती है | बिशनी के चेहरे की रेखाएं गाढ़ी हो जाती हैं |

मोहन राकेश  सारांश 

19वीं   शताब्दी के उत्तरार्ध में पश्चिम देश के अद्भुत नाटक का जन्म और विकास हुआ था | तब से लेकर अब तक यूरोप और अमेरिका में नाटक और रंगमंच के क्षेत्र में विपुल प्रयोग हुए |  इसे नाटक और मंच दोनों  ही क्षेत्रों में में परिवर्तित हुए | मोहन राकेश इस विश्व परंपरा  को अपने ढंग से आत्मकथा करते हुए आगे बढ़े |   उनके नाटक लेखों में मजा या  दृश्य वेशभूषा  रूप सज्जन रंग संगीत और प्रकाश इन सब की चेतना बराबरी करती रही |  उन्होंने हिंदी नाटक को अंधेरे बंद कमरे से बाहर निकाल कर युवकों रोमानी इंद्रजाल के मनमोहन से तथा एक नए दौर के साथ उसे जोड़ कर दिखाया |यह प्रस्तुति  एकांकी उनकी पुस्तक अंडे के छिलके तथा अन्य काम की से ली गई है |  एक काम कीजिए ऐसा नाम से ही स्पष्ट है एक अंक की बहुत छोटी रचना है |  और उनकी तुलना पर्याय पानी से की जाती रही है |  मोहन राकेश कि इस मासिक रचना में  निम्न मध्यवर्गीय की एक ऐसी मां बेटी की कथावस्तु प्रस्तुत है |  जिनके घर का इकलौता लड़का सिपाही के रूप में द्वितीय विश्व युद्ध में  मोर्चा  मैं लड़ने गया था |  वह अपनी मां का इकलौता लड़का और विवाह के लिए तैयार अपनी बहन का इकलौती भाई है | उसी प्रकार की पूरी आशा टिकी हुई है |  वह लड़ाई के मुख से हम आ कर लौटे तो बहन के हाथ पीले हो सके |  मां एक देहाती होली स्त्री है |  वह यह भी नहीं जानती कि बर्मा उसके गांव से कितना दूर है |  और लड़ाई कैसी और किसने किस लिए हो रही है |  उसका अंजाम ऐसा भी हो सकता है कि सब कुछ खत्म हो जाए ऐसा वह सोच भी नहीं सकती है |  मां और छाया की  उससे लगी बेटों के भीतर की आशा जो बेटे से जुड़ी हुई है |  अनेक रूप रंग  ग्रहण करती है |  उसकी संपूर्ण    नाटकीयता और रंग संभावनाओं का लेखक अपने हाथों से उद्घाटन किया है कि रचना के अंत में एक अपार विषाद मन पर स्थाई प्रभाव छोड़  जाता है  | 

फिर बीच में नहीं आने का प्रयत्न करती है पर मानक उसे फिर झटक कर हटा देता है |  विशनी चारपाई पर गिरकर हाथों में मुंह छुपा लेती है सिपाही पात्र की ओर हटता है मानक उसके साथ साथ आगे बढ़ता है |

सिपाही और  मानक  की आकृतियां धीरे धीरे पाश्र्व पासवर्ड में जाकर विलीन हो जाती है | विशनी  हाथों में मुंह छिपाए हुए चिल्ला उठती है | 

मानक !  मानक ! 

एक साथ चार -छह गोलियां चलने और उसके साथ सिपाही के कराने का सब सुनाई देता है सहसा खामोशी छा जाती है जितनी इसी तरह चिल्लाती है मानक मानक घबराए हुए स्वर में मां |

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My name is Uttam Kumar, I come from Bihar (India), I have graduated from Magadh University, Bodh Gaya. Further studies are ongoing. I am the owner of Bsestudy.com Content creator with 5 years of experience in digital media. We started our career with digital media and on the basis of hard work, we have created a special identity for ourselves in this industry. (I have been active for 5 years, experience from electronic to digital media, keen eye on political news with eagerness to learn) BSE Study keeps you at the forefront, I try to provide good content and latest updates to my readers.You can contact me directly at ramkumar6204164@gmail.com

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